आपका लक्ष्य क्या है?वास्तव में आप चाहते क्या हैं;इसका स्पष्ट ज्ञान रहना भी बहुत जरूरी है।लक्ष्यविहीन जीवन भी बहुत बड़ी उलझन है।जिसका लक्ष्य स्पष्ट नहीं है;किंतु हृदय में चाहना उठती रहती है;वह वास्तव में चाहता कुछ भी नहीं उसे मात्र मनोरथ करते रहने का व्यसन हुआ करता है।इस प्रकार का मनोरथी व्यक्ति आज यदि इस ओर बढ़ना चाहता है,तो कल दूसरी ओर।यदि आज वह व्यवसायी बनना चाहता है,तो कल एक बड़ा अधिकारी।आज यदि साहित्यकार बनना चाहता है,तो कल राजनीति में स्थान पाने की कामना करने लगता है।आज यदि यशवान बनने का मनोरथ करता है,तो कल धनवान बनने का।ऐसे इच्छाशील व्यक्ति का कोई एक लक्ष्य नहीं होता।जीवन एक सुलझा हुआ सरल मार्ग है इसे अखण्ड प्रसन्नता के साथ पूरा किया जा सकता है;किंतु यह तभी संभव होगा;जब मनुष्य अपनी स्थिति में पूर्ण संतुष्ट रहे;अपनी शक्ति-सीमा के अनुरूप इच्छाएँ करे और आकस्मिक असफलताओं को अंगीकार करने के लिए साहसपूर्वक तैयार रहे।अनियंत्रित मनोरथ,अस्थिर इच्छाएं और केवल सफलताओं की उत्सुक कामना,मनुष्य के सुलझे जीवन को निश्चय ही एक उलझी हुई पहेली बना देंगी।जिसको सुलझाते-सुलझाते उसकी सारी आयु निकल जाएगी और अंत में वह एक भयंकर असंतोष लिए संसार से विदा हो जाएगा।
18 May 2018
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