इवान तुर्गनेव के कुछ अनमोल वचन - Lalita Press

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06 June 2018

इवान तुर्गनेव के कुछ अनमोल वचन



रूसी उपन्यासकार लघु कथाकार और नाटककार 
इवान तुर्गनेव के कुछ अनमोल वचन
आपके लिए। स्पोर्टसमैस स्केच उनका लघु कथाओं का संग्रह है इवान तुर्गनेव का जन्म 1818 ईस्वी में हुआ था


✓उनके कुछ अनमोल विचार

# अगर हम शुरुआत के लिए उस पल का इंतजार करें जब सब कुछ ठीक हो जाएगा बिल्कुल ठीक तो हम कभी शुरूवात नहीं कर पाएंगे।
# जब क्षमता हो अपनी पूरी ताकत से आगे बढ़े लेकिन जब शरीर साथ छोड़ने लगे तो किनारे बैठ जाओ और आगे जाने वालों को देखो पता चलेगा वह भी ज्यादा आगे नहीं जा पाए। # मैं कभी विचार से शुरुआत नहीं करता
# जिन लोगों में चरित्र की दृढ़ता नहीं होती वे अपनी किस्मत पर भरोसा करते हैं इससे उन्हें इच्छाशक्ति की कमी और जिम्मेदारी उठाने की भावना से राहत मिलती है।
# अक्सर इंसान के पीछे यादें होती है,लंबी यादें। लेकिन वह उनके बारे में सोचना नहीं चाहता उसके सामने रास्ते होते हैं, लंबे रास्ते। उनकी मंजिल वह नहीं जानता ।
# मैं नहीं जानता कि बूढ़े आदमी का दिल कैसा होता है। लेकिन मैं जानता हूं कि अच्छे आदमी का दिल कैसा होता है- बहुत भयानक
# प्रकृति मंदिर नहीं होती। यह एक वर्कशॉप है और इसमें कारीगर होता है- इंसान।
# देर से मिलने वाली खुशी बहुत दुख पहुंचाती है। बहुत आहत करती है।
# प्रकृति को इंसान के तर्क की परवाह नहीं होती। उसके अपने तर्क होते हैं, जिसे हम समझ नहीं पाते। जब तक कि प्रकृति हमें अपने पैरों से कुचल नहीं देती तब तक हम उसके तर्क नहीं पहचानते हैं।
# परेशानियां हमें बताती है कि हम क्या हैं वह हमें एक राह से दूसरी राह पर जाने के लिए मजबूर करती है। और फिर उस पर धकेल देती है,
# जो बीत जाता है वह सपना होता है और सपने किसे याद रहते हैं।
# जो व्यक्ति अपनी ही बीमारी पर, अपनी ही कमजोरी पर नाराज होता है, वह निश्चित रूप से उस से पार पा जाता है
# प्रकृति के दरवाजे पर आप कितनी ही बार दस्तक दे दो, कभी भी ऐसा जवाब नहीं मिलेगा जो आपको समझ में आ जाए।
# सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दो और दो चार होते हैं, इसके अलावा सब व्यर्थ है
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