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कहानी अधूरी सी

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16 January 2019

😢 पुराना खत 😓

दिल में दफ़नते ख्वाब का वो तस्वुर फिर से सुलग उठा.
वो नख्श, नयन, ख्यालात ख्यालो में सताने लगा.
मयकसी के गुमनाम राग में, चाहतो कि सवालात आ गया.
वर्षो पुराना वो खत जो हाथ आ गया..

किसी कि महक है, खुशबू है यादो की.
वो गुमनाम जमाना कैद है, अवारगी हैं फिजाओ कि.
चंद सैय्यारो में अश्क है कैद मय्यारो कि.
मेरे मैं में अश्क फिर तुम्हारा आ गया.
वर्षो पुराना वो खत जो हाथ आ गया..

चंद शब्दों के अलफ़ाज को पुराण सा पढा.
बार -बार नहीं हजार बार पढा.
वक़्त को समझा, तुमको समझा.
ना समझ अलफ़ाज को भी समझा.
गहराई उस जज्बात कि आज बार -बार समझा.
आखरी के उस तीन चिन्हो का आज मतलब भी समझा.
जाने आज फिर लगा कुछ खो सा गया.
वर्षो पुराना वो खत जो हाथ आ गया..

अब भी तुम वही हो या कुछ बदल गया है.
सोचता हूँ बातुनी मिज़ाज शायद  बदल गया है.
इसारे उंगलियों के अनोखे मुझे अब भी समझ आते हैं.
जाने अब तेरा लहज़ा बदल गया होगा.
खो दिया था वर्षो जिस जहां को, हर वो पल  ख्वाब आ गया
वर्षो पुराना वो खत जो हाथ आ गया..

संजीत कुमार जी का लिखा हुआ पोस्ट आप लोगों को कैसा लगा जरुर बताइएगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा ताकि वह भी इसे पढ़ें और कमेंट बॉक्स में अपना राय जरूर दीजिए।।

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