सुरज चाँद तारे को छू लिया तुने.....
हे अंतरिक्ष के भगवान, धरती के हवशी के लिए एक गुड़िया बना दो तुम.......
जिसमे ना जान हो ना चीख न पीड़ा, एसा समान बना दो तुम.........
हर शहर हर घर में इसे पहुंचा दो तुम......
या बेटियों कि सुरक्षा को कोई नयाब अलार्म बना दो तुम..
केन्डल मार्च वाले सब अपने घर को गए......
नौकरी वाले दफ्तर को.....
वहशी कुछ अब भी बचे है मोहल्ले मे जो तारतार कर रहा बेटी कि इज़ज़त को........
चीख से पहले चित्कार निकले वहशी कि, एसा कुछ काम कर दो तुम.......
बेटी कि सुरक्षा को कोई नयाब अलार्म बना दो तुम......
हे रोबट के भगवान धरती के हवशी के लिए एक गुड़िया बना दो तुम......
जिसमें न जान हो, दुख न पीड़ा एसा समान बना दो तुम..
या बेटियों कि सुरक्षा को कोई नयाब अलार्म बना दो तुम..
#............
हे अंतरिक्ष के भगवान, धरती के हवशी के लिए एक गुड़िया बना दो तुम.......
जिसमे ना जान हो ना चीख न पीड़ा, एसा समान बना दो तुम.........
हर शहर हर घर में इसे पहुंचा दो तुम......
या बेटियों कि सुरक्षा को कोई नयाब अलार्म बना दो तुम..
केन्डल मार्च वाले सब अपने घर को गए......
नौकरी वाले दफ्तर को.....
वहशी कुछ अब भी बचे है मोहल्ले मे जो तारतार कर रहा बेटी कि इज़ज़त को........
चीख से पहले चित्कार निकले वहशी कि, एसा कुछ काम कर दो तुम.......
बेटी कि सुरक्षा को कोई नयाब अलार्म बना दो तुम......
हे रोबट के भगवान धरती के हवशी के लिए एक गुड़िया बना दो तुम......
जिसमें न जान हो, दुख न पीड़ा एसा समान बना दो तुम..
या बेटियों कि सुरक्षा को कोई नयाब अलार्म बना दो तुम..
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