सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है....
अमन चैन है आंकड़ों में और अवाम रो रही है...
ख़जाना लूट वो विदेश को चले,
और कर्ज का भार जनता ढो रही है......
तुम आए हो, चले जाओगे, फिर पता नहीं कब आ जाओगे...
वतन ऎ बदहवाश कि रहनुमा फिर कहलाओगे....
मैं जहाँ था वही हूं, वही से आगे ले जाने कि वादे करने फिर आओगे.....
किसके बातों पे यकीं करू, किसे जाने दू खाली हाथ...
मुट्ठीभर कर दिया फिर भी सबने रखा खाली हाथ...
घूँट जहर का पी लू अब कि नदिया भी पानी सोख रही हैं.......
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है......
बड़े बड़े चर्चे हैं सरकार के इश्तिहार में,
और उसी होर्डिंग के नीचे जनता रो रही है.....
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है.......
अंतरात्मा के परमात्मा पल भर में जाग जाते हैं....
बिलख्ते अवाम के आँसू पे जमीर कब जगाओगे....
धन्ना सेठो कि तिजौरी तो भर गया, गरीबी कब भगाओगे
हिस्से में मेरे रोजगार भी हैं या इन हाथो से सिर्फ़ वोट करवाओगे.....
गिरवी रख जमीन जेवर डिग्रीया ली, पिता कि उम्मीद और सरकार कि दिलासा खो रही हैं...
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है.....
अमन चैन है आंकड़ों में और अवाम रो रही है....
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है......
तोड़ मरोड़ घुस खसोट तुमही चलाते हो....
और अफसरशाही का अमलीजामा आम आदमी के सर फोड़ते हो....
तुमने धोखा दिया इसे खुला मौका दिया.....
दो आने कि लालच में अब तक वोट दिया....
बाबूओ ने सुद सहित हमही से लूट लिया.....
अफसरशाही से सना बोर राजसत्ता का शासन जनता झेल रही हैं....
सवाल न उठाओ कि सरकार सो रही है.....
अमन चैन है आंकड़ों में और अवाम रो रही है....
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है.......
sanjeet kumar yadav
अमन चैन है आंकड़ों में और अवाम रो रही है...
ख़जाना लूट वो विदेश को चले,
और कर्ज का भार जनता ढो रही है......
तुम आए हो, चले जाओगे, फिर पता नहीं कब आ जाओगे...
वतन ऎ बदहवाश कि रहनुमा फिर कहलाओगे....
मैं जहाँ था वही हूं, वही से आगे ले जाने कि वादे करने फिर आओगे.....
किसके बातों पे यकीं करू, किसे जाने दू खाली हाथ...
मुट्ठीभर कर दिया फिर भी सबने रखा खाली हाथ...
घूँट जहर का पी लू अब कि नदिया भी पानी सोख रही हैं.......
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है......
बड़े बड़े चर्चे हैं सरकार के इश्तिहार में,
और उसी होर्डिंग के नीचे जनता रो रही है.....
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है.......
अंतरात्मा के परमात्मा पल भर में जाग जाते हैं....
बिलख्ते अवाम के आँसू पे जमीर कब जगाओगे....
धन्ना सेठो कि तिजौरी तो भर गया, गरीबी कब भगाओगे
हिस्से में मेरे रोजगार भी हैं या इन हाथो से सिर्फ़ वोट करवाओगे.....
गिरवी रख जमीन जेवर डिग्रीया ली, पिता कि उम्मीद और सरकार कि दिलासा खो रही हैं...
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है.....
अमन चैन है आंकड़ों में और अवाम रो रही है....
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है......
तोड़ मरोड़ घुस खसोट तुमही चलाते हो....
और अफसरशाही का अमलीजामा आम आदमी के सर फोड़ते हो....
तुमने धोखा दिया इसे खुला मौका दिया.....
दो आने कि लालच में अब तक वोट दिया....
बाबूओ ने सुद सहित हमही से लूट लिया.....
अफसरशाही से सना बोर राजसत्ता का शासन जनता झेल रही हैं....
सवाल न उठाओ कि सरकार सो रही है.....
अमन चैन है आंकड़ों में और अवाम रो रही है....
सवाल ना उठाओ कि सरकार सो रही है.......
sanjeet kumar yadav
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