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कहानी अधूरी सी

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18 May 2018

बिहार का एक जिला जो संप्रदायिक दंगे कि आग में सम्भवतः आज तक नहीं जला!
बिहार का एक ऐसा जिला जहां के लोग आपसी भाईचारे के बीच धर्म को कभी प्रखर नहीं होने दिया!
या बिहार का ऐसा जिला जहां रामनवमी कि जुलूस हो या मोहर्रम का हुजूम, तलवारे तो लहरी है मगर किसी की गर्दन पे नहीं!
आर्थिक, सामजिक, राजनीतिक और प्राकृतिक रूप से पिछड़ा, मगर भाईचारे में सबसे दुलारा -जिला सुपौल!

14 मार्च 1991 में सहरसा से विभाजित होकर आस्तित्व मे आया जिला सुपौल!
लगभग 25 लाख कि आबादी वाला यह जिला आर्थिक रूप से अब भी बहुत पिछड़ा है......!?
एक ऐसा जिला जिसके अंतर्गत अब तक कोई भी कल कारखाने नहीं लगे, ना ही कोई प्राकृतिक स्रोत कि उपल्ब्धि हैं!
बिहार का एक ऐसा जिला जहां बाढ़ और सुखाड दोनों एक साथ आती हैं!
#आज सुपौल कि पिछड़ेपन कि चर्चा मैने इसलिए कर दी क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि एक पिछड़ापन ही है, जो मनुष्य के पाँव को जमीन पे टिकाये रखता है.!
रामनवमी कि जुलूस में बिहार के कई जिलो में संप्रदायिक दंगे हुए, और देश भर में संप्रदायिक दंगे आए दिन बढ़ते जा रहे हैं.!?
धर्म के नाम पर हर कहीं लोग कटने काटने को आतूर हैं, वही मेरा जिला सुपौल अपने दिनचर्या के कार्यो में व्यस्त हैं....!
इन्होने कभी जानने कि कोशिश ही नहीं की, कि दंगा में मरने वाला राम था या रहमान...!
इन्हें तो बस इतना पता है कि सुबह की चाय राम बाबू कि दुकान पे पीनी है और राम बाबू को पता है कि मेरी पंचर साईकिल रहमान भाई के दुकान पे ही बनेगी!
एक दुसरे के बिना हमारा काम ही नहीं चलना!

#राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो हमारे सुपौल कि नेता लोग उग्रवाद को कभी बढ़ावा नहीं दिया!
इसका भी मुख्य कारण यही पिछड़ापन है!
सुपौल जिला के जितने भी नेता है, चाहे किसी भी पार्टी दल के हो, किन्तू एक दुसरे के खुन के प्यासे कभी नहीं रहे!
राजनीतिक विचारधारा भले ही सब कि अलग हो किन्तु आपसी भाईचारे में राजनीति को उतनी तवज्जो नहीं मिलती यहां!
कारण साफ है, ना ही कोई अरबपति है ना ही कोई खुन्खार बाहुबली. !
ना ही यहाँ इस्लामिक विचारधाओ कि गंध है, ना ही बजरंग दल का डंड !
मेरे कहने का तात्पर्य बस इतना है कि जहाँ लोग अपने अपने कार्यो में मसगुल है और नेताओ को लुटाने के लिए नोट नहीं है, वहां कोई भी दंगा विकराल स्वरूप धारण कर ही नहीं सकता  !
सुपौल के जितने भी छोटे बड़े नेता है, किसी भी दल के, उसकी पहुंच पटना तक तो है ;पर शायद पार्टी के राजनीति षडयन्त्र में ये लोग कभी शामिल नहीं हुए, शायद इसिलिए हमारा सुपौल कभी दंगाई नहीं हुआ  !
और आम जन जरूरत से ज्यादा पैसा कभी कमा नहीं पाए, शायद इसिलिए वह किसी का घर जला नहीं पाए...!

@सही या गलत पता नहीं! पर मुझे लगता है कि कुछ हकीकत ये भी है.....!

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