हरभजन सिंह भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाजों में से एक माने जाते हैं, मुरलीधरन के बाद वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने में दूसरे ऑफ स्पिनर है।
टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से पहला हैट्रिक लेने का भी रिकॉर्ड हरभजन सिंह के नाम है,आज हम आपको हरभजन सिंह की जीवनी बताते हैं।
हरभजन सिंह 5बहन के साथ अकेला भाई था, अकेला भाई होने के कारण हरभजन सिंह पर पारिवारिक व्यवसाय को बढ़ाने का काफी दारोमदार था लेकिन हरभजन सिंह को फैक्टरी के काम में मन नहीं लगता था,और क्रिकेट में ज्यादा मन लगता था।
सरदेव ने उन्हें कभी भी फैक्ट्री संभालने का दबाव नहीं डाला और हमेशा हरभजन सिंह के सपने के साथ था कि वह क्रिकेटर बने , हरभजन सिंह को बचपन से ही भज्जी कहके बुलाया जाता था भाज्जी को बचपन में बल्लेबाज बनने का शौक था उन्होंने कुछ चरणजीत सिंह भुल्लर से बैटिंग सीखना भी शुरू कर दिया था।
लेकिन उनके निधन के बाद भजी की ख्वाहिश अधूरा ही रह गया, नए कोच रविंदर अरोड़ा ने उनके स्पिन कौशल को पहचाना और बल्लेबाजी के बजाय गेंदबाजी पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया, उसके बाद भज्जी रोज कड़ी धूप में 6 से 8 घंटे फिड़की गेंद फेंकने का अभ्यास करने लगे।
उनकी बॉल में गजब का टर्न हुआ करता था जो दुनिया के किसी बल्लेबाज को चकमा दे सकता था,
नवंबर 1995 में 15 साल की उम्र में भज्जी का चयन पंजाब की टीम में हो गया, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश की टीमों के खिलाफ उन्होंने अपने हरफनमौला प्रदर्शन से राष्ट्रीय अंडर-19 टीम के चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित कर लिया। अप्रैल 1998 में न्यूजीलैंड के खिलाफ हुई वनडे सीरीज के दौरान हरभजन को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका मिला, तब से वह अभी तक भारतीय टीम के साथ बने हुए हैं, और शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं । IPL में उन्होंने मुंबई इंडियंस के साथ काफी समय बिताया और अपने प्रदर्शन से मुंबई को कई बार चैंपियन भी बनाया। अभी भी वह उसी स्तर का खेल दिखाते हैं जैसे वह शुरू किए थे।
तो दोस्तों कैसा लगा आपको यह हरभजन सिंह का शार्ट बायोग्राफी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा।
हम यह आपके लिए इसलिए लाते हैं कि आप मोटिवेट हो सके और जिंदगी में कुछ कर सके अपने दोस्तों के साथ भी इस पोस्ट को शेयर करें ताकि वह भी पढ़े और इसका लाभ उठाएं।।
टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से पहला हैट्रिक लेने का भी रिकॉर्ड हरभजन सिंह के नाम है,आज हम आपको हरभजन सिंह की जीवनी बताते हैं।
जन्म
हरभजन सिंह का जन्म 30 जुलाई 1980 को जालंधर में बॉल बेयरिंग और वॉल्व की फैक्ट्री चलाने वाले सरदार सरदेव सिंह प्लाहा के घर हुआ था।हरभजन सिंह 5बहन के साथ अकेला भाई था, अकेला भाई होने के कारण हरभजन सिंह पर पारिवारिक व्यवसाय को बढ़ाने का काफी दारोमदार था लेकिन हरभजन सिंह को फैक्टरी के काम में मन नहीं लगता था,और क्रिकेट में ज्यादा मन लगता था।
सरदेव ने उन्हें कभी भी फैक्ट्री संभालने का दबाव नहीं डाला और हमेशा हरभजन सिंह के सपने के साथ था कि वह क्रिकेटर बने , हरभजन सिंह को बचपन से ही भज्जी कहके बुलाया जाता था भाज्जी को बचपन में बल्लेबाज बनने का शौक था उन्होंने कुछ चरणजीत सिंह भुल्लर से बैटिंग सीखना भी शुरू कर दिया था।
लेकिन उनके निधन के बाद भजी की ख्वाहिश अधूरा ही रह गया, नए कोच रविंदर अरोड़ा ने उनके स्पिन कौशल को पहचाना और बल्लेबाजी के बजाय गेंदबाजी पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया, उसके बाद भज्जी रोज कड़ी धूप में 6 से 8 घंटे फिड़की गेंद फेंकने का अभ्यास करने लगे।
उनकी बॉल में गजब का टर्न हुआ करता था जो दुनिया के किसी बल्लेबाज को चकमा दे सकता था,
क्रिकेट कैरियर
15 साल की उम्र में शुरू किया था भज्जी ने अपना कैरियरनवंबर 1995 में 15 साल की उम्र में भज्जी का चयन पंजाब की टीम में हो गया, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश की टीमों के खिलाफ उन्होंने अपने हरफनमौला प्रदर्शन से राष्ट्रीय अंडर-19 टीम के चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित कर लिया। अप्रैल 1998 में न्यूजीलैंड के खिलाफ हुई वनडे सीरीज के दौरान हरभजन को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका मिला, तब से वह अभी तक भारतीय टीम के साथ बने हुए हैं, और शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं । IPL में उन्होंने मुंबई इंडियंस के साथ काफी समय बिताया और अपने प्रदर्शन से मुंबई को कई बार चैंपियन भी बनाया। अभी भी वह उसी स्तर का खेल दिखाते हैं जैसे वह शुरू किए थे।
तो दोस्तों कैसा लगा आपको यह हरभजन सिंह का शार्ट बायोग्राफी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा।
हम यह आपके लिए इसलिए लाते हैं कि आप मोटिवेट हो सके और जिंदगी में कुछ कर सके अपने दोस्तों के साथ भी इस पोस्ट को शेयर करें ताकि वह भी पढ़े और इसका लाभ उठाएं।।
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