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कहानी अधूरी सी

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18 May 2018

📝"बेकार नही जाती परिश्रम एक दिन रंग लती है।
अगर लगन सच्ची हो तो मंजिले खुद चलकर आती है"।

परिश्रम को सफलता की कुंजी माना गया है। जीवन में सफलता पुरुषार्थ से ही प्राप्त होती है। कहा भी गया है:-उद्योगी पुरुष सिंह को लक्ष्मी वरण करती है। जो भाग्यवादी है, उन्हें कुछ नही मिलता। वे हाथ-पर-हाथ धरे रह जाते हैं।
मौका उनके सामने से निकल जाता है। भाग्य कठिन परिश्रम का ही दूसरा नाम है।
प्रकृति को देखिये। सारे जड़-चेतन अपने कार्य में लगे रहते हैं।चींटी को भी पल भर की चैन नही। मधुमक्खी जाने कितनी लम्बी यात्रा कर बूँद-बूँद मधु जुटाती है। मुर्गे को सुबह बाँग लगानी ही है। फिर मनुष्य को बुद्धि मिली है, विवेक मिला है।वह निठल्ला बैठे तो सफलता की कामना करना व्यर्थ है।
विश्व में जो देश आगे बढ़े है,उनकी सफलता का रहस्य कठिन परिश्रम ही है।
जापान को दूसरे विश्व युद्ध में मिट्टी में मिला दिया गया था‌ उसकी अर्थव्यवस्था छीन्न-भिन्न हो गई थी। दिन-रात जी-तोड़ परिश्रम करके वह पुनः विश्व का प्रमुख औद्योगिक देश बन गया। चीन को शोषण से मुक्ति, भारत से देर में मिली, वह भी मानव श्रम के बल पर आज भारत से आगे निकल गया है।जर्मनी ने भी युद्ध की भयंकर विभीषिकाएँ झेलीं, पर मानव श्रम के बल पर सँभल गया।
           मगर,आजादी के 70 साल बाद भी "विश्व में सबसे अधिक युवाओ की आबादी"वाला इण्डिया पिछड़े क्यों है, विश्व मानचित्र पर।
यह गहन चिन्तन-मनन और अपने गौरवशाली अतीत में झाँककर सोचने का प्रश्न है।

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