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कहानी अधूरी सी

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18 May 2018

सवाल ये नहीं है कि देश में बेरोजगारी है, सवाल ये है कि तुममें काबिलियत कितनी है।
बाबा रणछोड़ दास ने कहा था ना, काबिल बनों-काबिल।
दसवीं-बारहवीं तक कि पढ़ाई के लिए कितनी रातें जगे हो?यदि सरकार नीट या आईआईटी के परीक्षार्थी को दो या तीन चांस देती है तो हम सड़कों पर उतर आते हैं।
क्वालीफाई करने वाले एक बार में करते हैं, वो भी हमारे बीच के होते हैं। देश में अधिकारों की बड़ी बात चलती है।
और कर्तव्य??
बिना कर्तव्य के कैसा अधिकार?
माँ-बाप की संपत्ति पर अधिकार तो उनकी सेवा का कर्तव्य क्यों भूलते हो?
एक छोटा सा उदाहरण था, मुद्रा योजना को कोट करते हुए पीएम द्वारा दिया गया था कि आपके स्टूडियो के बाहर यदि कोई व्यक्ति पकौड़े बेचता है तो क्या वो रोजगार नहीं है?बिल्कुल रोजगार है। अब मुझे इस सवाल का जवाब दे दो कि उसके योग्यतानुसार पकौड़े के स्टाल लगाने के लिए पर्याप्त संसाधन मुहैया करवा देना क्या काम नहीं है?
मेरा सीधा मानना है कि खुद में काबिलियत हो तो तुम बेरोजगार नहीं हो।
इस देश में चुटकुले सुनाकर भी लोग अरबों रुपये के मालिक हैं। दूसरों को पढ़ाकर भी लोग ओड्डी और बीएमडब्ल्यू में घूमते हैं। बस काबिलियत होनी चाहिए। फर्जी डिग्रियाँ बस दीवारों पर सजाने के लिए और सड़क पर उतरकर हाय-हाय करने के लिए हो सकती है। ज्ञान किसी भी क्षेत्र में हो आपको बेरोजगार नहीं रख सकती।

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