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कहानी अधूरी सी

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18 May 2018

*ख़ामोश हूँ अब,*
*क्योंकि रिश्ते निभाकर थक चुका हूँ।*
*जिन्हें फ़िक्र थी,उन्होंने करना छोड़ दिया।*
*कल सात जन्मों की बातें थी..*
*आज ज़िक्र करना छोड़ दिया।*

*कहने को सब साथ हैं मेरे..*
*मग़र अब वो बात नहीं रही..*
*हँसकर बातें भी होती हैं..*
*पर अब वो जज़्बात नहीं रही।*

*ये समय कब,किसके लिए रुका है?*
*कब,कौन,किसके लिए मरा है?*
*नसीबदार होते हैं वो लोग,जिनके लिये लोग मरते हैं..*
*मुझ जैसा बदनसीब पैदा कहाँ हुआ है?*

*जबतक चाह थी,मैं आगंतुक बनता रहा..*
*खुद से ज़्यादा दूसरों की परवाह करता रहा..*
*अब मुझसे ये जिम्मेदारी निभती नहीं..*
*क्योंकि ताली एक हाथ से कभी बजती नहीं..*

*शब्द नहीं जिह्वा से निकले बाण हैं ये..*
*मेरे हृदय में बसा स्वाभिमान है ये..*
*मुँह बोले नातेे-रिश्तों को बस यहीं ख़तम कर दो..*
*हृदय में उमड़े जज्बातों को,हृदय में ही दफ़न कर दो।*

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